रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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जगधर-अपना बनाने से थोड़े ही अपना हो जाएगा। ठाकुरदीन भी आ गया था। जगधर की बात सुनकर बोला-भगवान् ने क्या तुम्हारे करम में काँटे ही बोना लिखा है, किसी का भी ...

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